Essay on Dussehra in Hindi Language | दशहरा / विजयादशमी पर निबंध
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दशहरा राम की रावण पर विजय और दुर्गा माँ की महिषासुर पर विजय के अवसर पर मनाया जाता है इसीलिए दशहरे का दिन विजयपर्व के रूप में भी मनाया जाता है। भारतीय परंपरा हमेशा से ही वीरता और शक्ति का उपासक रहा है। आज के दिन रावण का पुतला जलाकर असत्य पर सत्य की जीत का जश्न मनाया जाता है।
भारत के विविध प्रदेशों में विजयादशमी विभिन्न तरीको के मनाया जाता है। हालाँकि हरेक प्रदेश में उत्सव मनाने का हेतु तो एक ही होता है और वो है शक्ति पूजा या फिर असत्य पर सत्य की जीत।
दशहरा पर निबंध | विजयादशमी पर निबंध
दशहरा उन पवित्र और बड़े हिन्दू त्योहारों में से एक है जो सत्य की असत्य पर जीत और बुराई पर अच्छाई का महिमा जताते है। दशहरा विजयादशमी और दसारा के नाम से भी जाना जाता है। दशहरा अश्विन मास के शुक्ल पक्ष के दसवें दिन मनाया जाता है। नवरात्री की समाप्ति भी इसी के साथ होती है।
दशहरे के दिन ही भगवान श्री राम ने लंका के राजा रावण को परास्त कर उसका वध किया था तो दुर्गा माता ने भी इसी दिन महिसासुर नामक असुर का संहार कर विजय प्राप्त किया था इसी लिए इसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है।
दशहरा नाम का एक और अर्थ भी निकलता है। संस्कृत में दस का अर्थ है दोष और हर का अर्थ है हरना या नाश करना या दूर करना। अपने आप में से दोषों को दूर करना और अपनी कमजोरी पर जीत हांसिल करना यह भी एक अर्थ होता है। दशहरा का पर्व हमारे अंदर के दस पापों - काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी को त्याग देने की प्रेरणा भी प्रदान करता है।
विजयादशमी वर्ष की सबसे सुभ तीन तिथिओं में से एक मानी जाती है। इसीलिए शुभ कार्य की शुरुआत करने के लिए यह दिन बहुत ही योग्य माना जाता है। क्षत्रीय जाती के लोग आज के दिन ही शस्त्र पूजा करते है। पुराने ज़माने में इसे शत्रु पर विजय पाने के लिए शुभ समय माना जाता था इसी लिए शत्रु पर चढ़ाई करने के लिए विजयादशमी को यात्रा का प्रारम्भ किया जाता था।
ऐसा कहा जाता है की आज के दिन जो भी कार्य आरम्भ करते है उसमे विजय अवश्य मिलती है। कई जगह पे फसल के लिए बीज बोने का आरम्भ भी दसहरा से किया जाता है इसी लिए भारत के कई हिस्सों में दशहरे को बिजोया के नाम से भी जाना जाता है।
दशहरा राम की रावण पर विजय और दुर्गा माँ की महिषासुर पर विजय के अवसर पर मनाया जाता है इसीलिए दशहरे का दिन विजयपर्व के रूप में भी मनाया जाता है। भारतीय परंपरा हमेशा से ही वीरता और शक्ति का उपासक रहा है। आज के दिन रावण का पुतला जलाकर असत्य पर सत्य की जीत का जश्न मनाया जाता है।
भारत के विविध प्रदेशों में विजयादशमी विभिन्न तरीको के मनाया जाता है। हालाँकि हरेक प्रदेश में उत्सव मनाने का हेतु तो एक ही होता है और वो है शक्ति पूजा या फिर असत्य पर सत्य की जीत।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू का दशहरा इन सबसे काफ़ी लोकप्रिय और प्रख्यात - प्रसिद्ध है। कुल्लू में लोग रघुनाथ देवता की पूजा करते है और उत्सव और नाचते गाते उनकी शोभा यात्रा निकालते है। रघुनाथ देवता का जुलूस पुरे शहर में शान से और नाचते गाते निकलता है।
तो बंगाल, ओरिस्सा और असम में दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। बंगाल में यह 5 दिनों तक जबकि ओरिस्सा और असम में 4 दिनों तक मनाया जाता है।
गुजरात में यह त्यौहार नवरात्रि के 9 दिन गरबा और रास खेलके मनाया जाता है और दसवे दिन रावण दहन का कार्यक्रम रखा जाता है तो महारास्ट्र में दसवे दिन सरस्वती देवी की उपासना की जाती है।
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