खेड़ा सत्याग्रह के बारे में हिंदी में | Kheda Satyagrah in Hindi

Kheda Satyagraha in Hindi: नमस्कार दोस्तों ! GK in Hindi के एक और आर्टिकल में आपका स्वागत है और आज हम एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय के बारे में जानकारी देंगे। जी हाँ, आज हम गुजरात में हुए ऐतिहासिक खेड़ा सत्याग्रह के बारे में जानेंगे। खेड़ा सत्याग्रह के बारे में GPSC और UPSC  जैसी competitive exams में पूछा जाता है। 

एक तरह से देखा जाये तो खेड़ा सत्याग्रह इतना बड़ा नहीं था लेकिन उसकी वजह से देश की आजादी की लड़ाई में जो तेज और उत्साह का संचार हुआ वो पहले कभी नहीं हुआ था और इसी लिए भारत के इतिहास में खेड़ा सत्याग्रह का महत्त्व है। खेड़ा सत्याग्रह से ही भारत को और हम सबको सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे नेता मिले थे यह भी एक निर्विदित हकीकत है। तो आइये जानते है खेड़ा सत्याग्रह के बारे में। 


Kheda Satyagraha in Hindi


खेड़ा सत्याग्रह : सन 1917 में गुजरात के खेड़ा जिले की फसल ज्यादा बारिश की वजह से नष्ट हो गई। कानून के मुताबिक यदि फसल एक चौथाई नहीं होती है तो लगान में आधी छूट दिए जाने का प्रावधान था। लेकिन अंग्रेज सरकार ने लगान में छूट देने में किसी भी तौर से तैयार नहीं थी। 

जब कोई भी किसानो की बात सुनकर उनकी मदद के लिए तैयार नहीं था तब महात्मा गाँधी ने किसानो को सत्याग्रह करने का सुझाव दिया और साथ ही में लोगो को स्वयंसेवक और कार्यकर्त्ता बनने की अपील की। गांधीजी की अपील से ही वल्लभ भाई पटेल अपनी वकालत छोड़कर समाज सेवा में आये और सार्वजनिक जीवन का प्रारंभ किया। 

महात्मा गाँधी ने कठलाल के मोहनलाल पंड्या और शंकरलाल पारीख जैसे आगेवानों को साथ में रखा और अंग्रेजो को लगान माफ़ी की अरजी दी। 1917 में गांधीजी को गुजरात सभा के प्रमुख के रूप में चुना गया और गुजरात सभा के कार्यकरो ने गांधीजी की अगवाई में किसानो को लगान नहीं भरने के लिए समझाया और प्रतिज्ञा दिलाई। 

सरकार की तरफ से किसानो को काफी समझाया गया और खेत जप्त करने की धमकिया भी दी गई लेकिन किसान अपनी प्रतिज्ञा पर द्रढ़ रहे। इस प्रतिज्ञा को और भी मजबूत करने के लिए गांधीजी ने एक शानदार उपाय दिया। उन्होंने किसानो को सरकार द्वारा जप्त किये गए खेतो में से फसल काट कर लेने का सुझाव दिया और गांधीजी के सुझाव का पालन करते हुए मोहनलाल खेत में से प्याज की फसल उखाड़ लाये। 
मोहनलाल और उनकी मदद करने वाले कुछ किसानो को सरकार ने पकड़कर 15 दिनों की सज़ा दी। लेकिन इसके बाद यह सत्याग्रह चल पड़ा और अंग्रेज सरकार ने कुछ भी घोषणा किये बिना ही लगान की वसूली बंध करदी और खेड़ा सत्याग्रह का 1918 में सफलता पूर्वक समापन हुआ। 

खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन भारत का पहला सत्याग्रह था जिसकी मदद से भारत के किसानो पहले कभी नहीं देखि गई चेतना तो मिली ही साथ में देश को सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे फौलादी मनोबल के नेता भी मिले। 

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