बसंत पंचमी पर निबंध - Basant Panchami Essay in Hindi

Basant Panchami Essay in Hindi : नमस्कार दोस्तों ! हिंदी में निबंध की हमारी श्रृंखला में आज हम बसंत पंचमी के बारे में जानेंगे। इस आर्टिकल में हमने आपके लिए बसंत पंचमी से जुडी सारी जानकारी इकठ्ठी की है जिससे आप बसंत पंचमी पर हिंदी में निबंध तैयार कर सकते है। बसंत पंचमी पर स्कूल में दिए गए प्रोजेक्ट्स  यह जानकारी आपके लिए बहुत काम आएगी। तो आइये अब चलते है बसंत पंचमी इन हिंदी की जानकारी लेते है। इस जानकारी में से आप short या long essay बना सकते है।

Basant Panchami Essay in Hindi - Basant Panchami in Hindi


Essay on Basant Panchami in Hindi | बसंत पंचमी पर निबंध हिंदी में 

बसंत पंचमी का त्यौहार भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। बसंत पंचमी ज्ञान की देवी माता सरस्वती का त्यौहार है। देश के विभिन्न हिस्सों में वसंत पंचमी का त्यौहार बड़े उत्साह से मनाया जाता है। वसंत पंचमी बसंत रितु के आगमन की ख़ुशी में और कामदेव और रति के प्यार के उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

बसंत पंचमी शब्द का सीधा मतलब होता है बसंत रितु का पाँचवा दिन । बसंत पंचमी हर साल हिन्दु कैलेंडर के माघ महीने के शुक्ल पक्ष के पाँचवे दिन मनाया जाता है। बसंत पंचमी ज्यादातर अंग्रेजी कैलेंडर के जनवरी या फरवरी के महीने में आता है।

बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा अर्चना और आराधना की जाती है। पुराने समय में राजा महाराजा हाथी पर बैठकर नगर का भ्रमण करते हुए मंदिर जाते थे और वहा पूजा करते थे। बसंत पंचमी वसंत ऋतू के आगमन के साथ साथ होली के त्यौहार की शुरुआत भी माना जाता है जो वसंत पंचमी से तकरीबन 40 दिनों बाद आता है।



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वसंत पंचमी हिन्दुओ का त्यौहार है इस लिए भारत के विभिन्न प्रांतो में इसे बड़े ही शानदार तरीको से मनाया जाता है। भारत के अलावा नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश और इंडोनेशिया में भी बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है।

बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। तो दक्षिणी भारत के कुछ राज्यों में उसे श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। श्री का मतलब देवी माना जाता है। तो इंडोनेशिया में इस दिन को हरी राया सरस्वती मतलब की माँ सरस्वति का सबसे बड़ा दिन के नाम से भी जाना जाता है। इसी दिन से इंडोनेशिया के 210 दिनों लम्बे कैलेंडर पावुकोन की शुरुआत होती है।

भारत के महत्तम इलाको में बसंत पंचमी का सेलिब्रेशन माता सरस्वति की पूजा अर्चना से की जाती है। माँ सरस्वति ज्ञान की देवी के रूप में जानी जाती है। इसके साथ ही इनको भाषा, संगीत और कला की देवी के रूप में भी जाना जाता है। इसलिए बसंत पंचमी  दिन कई परिवार में बच्चे की लिखावट या संगीत की रचना की शुरुआत करने के लिए शुभ दिन माना जाता है।

मंदिरो में और शिक्षा संकुलो में माता सरस्वति की पूजा अर्चना और आराधना की जाती है। माता की मूर्ति को पीले वस्त्र पहनाये जाते है और माता से सदैव ज्ञान की कृपा बरसाने की अरज की जाती है।

माता सरस्वति का पसंदीदा कलर पीला माना जाता है। इसी समय खेतो में गेंहू, चने और सरसों एवं अन्य धान काटने की सीजन भी आती है और खेत पिले रंग चादर ओढ़े से लगते है। संध्या के वक्त लोग एक दुसरे से गले मिलते है और त्यौहार का जश्न मानते है। लोग मिठाईया बाँटते है तो देश में कई जगहों पर पतंगे भी उड़ाई जाती है।
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स्वास्थ्य की द्रष्टि से भी बसंत का महिमा अधिक है। बसंत रितु में ही सभी चीज़ो में नव चेतना का संचार होता है। प्रातः काल जल्दी उठाकर भ्रमण करने से तन मन में अद्भुत ऊर्जा  का संचार होता है और मन को शांति एवं शीतलता और प्रसन्नता प्रदान करता है। इसी लिए बसंत को ऋतू ओ का राजा कहा जाता है।

बसंत पंचमी मनाने का एक और कारन भी बताया जाता है। पुराणों में इसका वर्णन किया गया है। बसंत पंचमी के दिन ही माता पार्वति ने शंकर भगवन को योगिक समाधि से बहार निकालने के लिए कामदेव और रति की सहायता मांगी थी। कामदेव ने फूलो का तीर बनाकर उसकी खुशबू से महादेव की समाधी भंग की थी। इसी वजह से बसंत पंचमी को प्यार के दिन के रूप में भी मनाया जाता है।

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